दिल्ली : भोपाल में नेशनल ज्यूडिशिल एकेडमी में एक कार्यक्रम को संबोधित किया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत में किसी भी सरकारी नियुक्ति में चीफ जस्टिस को शामिल करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। उनका मानना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह की व्यवस्था उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच सीमा स्पष्ट होनी चाहिए । किसी भी तरह के एग्जीक्यूटिव अपॉइंटमेंट में चीफ जस्टिस को शामिल करना गलत है। उन्होंने सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि क्या हमारे देश में या किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह उचित हो सकता है कि चीफ जस्टिस जैसे महत्वपूर्ण व्यक्ति को इस तरह की नियुक्तियों में शामिल करें ?
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उन्होनें आगें कहा “हमारे देश में यह व्यवस्था पहले इस कारण से बनी थी क्योंकि कार्यपालिका ने न्यायिक फैसलों के सामने झुकने की स्थिति बनाई थी, लेकिन अब यह दौर बदल चुका है और हमें इस पर पुनर्विचार करना चाहिए,” धनखड़ ने कहा। इससे पहले, मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में चीफ जस्टिस एक तीन सदस्यीय पैनल का हिस्सा होते थे, जिसमें प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता भी होते थे।
लेकिन 2023 में कानून में बदलाव होने के बाद से चीफ जस्टिस को इस पैनल अलग रखा गाया है। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए 17 फरवरी को होने वाली बैठक से पहले, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है। याचिकाकर्ता का कहना है कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में चीफ जस्टिस को शामिल किया जाना चाहिए। यह बैठक 18 फरवरी को होने वाली है, जब वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।