लखनऊ । मथुरा के शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में अब अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा। शुक्रवार को अदालत ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 की प्रयोज्यता पर हिंदू और मुस्लिम पक्षों की दलीलों को जांचने की सहमति दी। कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को प्रथम दृष्टया सही माना जिसमें सभी मुकदमों को एक साथ जोड़ा गया था।
मुस्लिम पक्ष ने 1991 के अधिनियम का हवाला देकर मुकदमों की वैधता पर सवाल उठाया, जबकि हिंदू पक्ष ने कहा कि ईदगाह एएसआई अधिनियम के तहत संरक्षित है, इसलिए यह पूजा स्थल अधिनियम के दायरे में नहीं आता। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोनों पक्ष अपने-अपने दावे रखने के हकदार हैं।
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12 दिसंबर को कोर्ट ने मंदिर-मस्जिद विवादों में अंतरिम आदेशों पर रोक लगाई थी। साथ ही नए मुकदमों पर विचार न करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने पहले मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें मुकदमों को अलग-अलग रखने की मांग की गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट 8 अप्रैल को सभी क्रॉस याचिकाओं और पीओडब्ल्यू अधिनियम की वैधता पर सुनवाई करेगा जो इस मामले में निर्णायक हो सकती है।