दिल्ली । देश में बढ़ते हुई जात-पात,धर्म के नाम पर संप्रदायों के नाम पर फैली हुई आजाजकता को देखते हुए राजनीतिक दलों की फटकार लगाई। केरल हाईकोर्ट ने हेट स्पीच पर अनिवार्य जेल सजा का प्रावधान न होने को गंभीर मामला माना है। अदालत ने भाजपा नेता पीसी जॉर्ज को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि जाति और धर्म के आधार पर उकसाने वाले बयानों की बढ़ती संख्या देश के संविधान के खिलाफ है। जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि ऐसे बयान देना हमारे समाज के लिए खतरनाक है और इसे रोकने के लिए संसद और विधि आयोग को कदम उठाने चाहिए।
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अदालत ने यह भी कहा कि भारतीय दंड संहिता (BNS) के तहत हेट स्पीच अपराधों के लिए जो सजा है, वह अक्सर जुर्माने तक ही सीमित रहती है, जबकि इसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए। साथ ही, अदालत ने यह भी बताया कि जमानत देने के लिए सिर्फ हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं, बल्कि आरोपी के पूर्ववृत्त और अपराध की गंभीरता पर विचार किया जाना चाहिए। इस फैसले ने हेट स्पीच पर सख्त कानून की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर किया है, जिससे समाज में साम्प्रदायिक उन्माद को बढ़ने से रोका जा सके।