केंद्र की शिक्षा नीति पर सोनिया गाँधी ने उठाए सवाल: कहा सरकारी नियंत्रण, निजीकरण और सांप्रदायिकता का बढ़ता असर

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सोनिया गाँधी
सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर केंद्र सरकार पर शिक्षा का केंद्रीकरण, व्यावसायीकरण और सांप्रदायिकरण करने का आरोप लगाया है।

नई दिल्ली: कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 पर कड़ा प्रहार करते हुए केंद्र सरकार पर शिक्षा का केंद्रीकरण, व्यावसायीकरण और सांप्रदायिकरण करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव लाने के बावजूद सरकार ने राज्य सरकारों से संवाद तक नहीं किया जो संघीय ढांचे पर हमला है।

शिक्षा में बढ़ते सरकारी दखल से युवाओं का भविष्य गर्त में- सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार राज्यों के शिक्षा संबंधी अधिकारों को छीनने में लगी है। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक 2019 से नहीं हुई जबकि यह शिक्षा नीति पर चर्चा का सबसे बड़ा मंच है। सरकार ने विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलरों की नियुक्ति का अधिकार भी राज्यपालों को देकर राज्यों के अधिकार सीमित कर दिए हैं।

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निजीकरण को बढ़ावा सरकारी स्कूलों की घटती संख्या पर चिंता जताते हुए उन्होंने बताया कि 2014 से अब तक 89,441 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं जबकि 42,944 निजी स्कूल खोले गए हैं। इससे गरीब तबके को महंगी शिक्षा व्यवस्था के हवाले किया जा रहा है।  इसके साथ ही उन्होने शिक्षा के सांप्रदायिकरण एंव पाठ्यपुस्तकों में बदलाव पर सवाल उठाए। जिसमें महात्मा गांधी की हत्या, मुगल इतिहास और संविधान की प्रस्तावना को हटाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में विचारधारा विशेष के प्रोफेसरों की नियुक्ति हो रही है जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।  सोनिया गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार शिक्षा के अधिकार कानून (RTE) की अनदेखी कर रही है। SSA:  जैसी योजनाओं के फंड रोककर राज्यों पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शिक्षा नीति में बदलाव नहीं किया गया । तो इसका सबसे बड़ा नुकसान छात्रों और देश के भविष्य पर पड़ेगा।

 

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